बुधवार, 30 नवंबर 2016

दिवालिया किसको कहते हैं

भारत सरकार, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया वा सत्तारूढ़ दल लगातार कह रहा है कि 24000 रूपये प्रति सप्ताह  और जिनके घरों में शादी है वह ढाई लाख रुपये अपने खाते से रुपया निकाल सकते हैं. जमीनी हकीकत यह है कि शादी-ब्याह वाले घरों के लोग ढाई लाख रुपये अपने खाते से नहीं निकाल पा रहे हैं क्यूंकि रुपया निकालने के लिए जो शर्तें लगायी गयी हैं उन शर्तों को पूरा नहीं किया जा सकता है. अब चौबीस हज़ार रुपये प्रति सप्ताह निकालने की वास्तविकता यह है कि 24000 रुपये कि चेक लेकर जब व्यक्ति बैंक गया तो बैंक आफ इंडिया बाराबंकी ने चेक पर लिख कर दे दिया है कि बैंक के पास रूपए ही नही है तब लीड बैंक के प्रबंधक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि रिजर्व बैंक आफ इंडिया के पास ही रूपये नहीं है. बताए दिवालिया किसे कहते हैं. 
बैंकों के पास रुपया ही नहीं है उनको किसी तरह से जो रुपया मिलता है उससे वह 2000 रुपये 1000 रुपये बाँट रहे हैं एटीएम वगैरह खाली पड़े हैं. जनता अपना रुपया निकालने के लिए लाइन में सुबह से लेकर शाम तक लगी रहती है और बाद में नो कैश हो जाता है. दिल्ली और बम्बई के अधिकारी मीडिया से कहते हैं कि सब कुछ ठीक है थोड़ा- बहुत कष्ट कि बात है इसके विपरीत वास्तविकता यह है कि व्यापार से लेकर खेती किसानी तक बंद है. गाँव के अन्दर दूसरी जगहों पर काम करने गए नवजवान वापस आ रहे हैं. बेरोज़गारी बढ़ रही है उसके बाद भी सत्तारूढ़ दल के बेशर्म नेतागण उत्तर प्रदेश में 1 करोड़ नवजवानों को रोज़गार देने कि बात कर रहे हैं. अफरातफरी का माहौल है. मोदी से लेकर रूडी तक नागनाथ से लेकर प्रलयनाथ तक झूंठ पर झूंठ बोले चले जा रहे हैं. जनता के कमजोर तबके बेरोजगार नवजवान किसान अपने पैसे का उपभोग नही कर पा रहा है. दुर्घटना होने पर नई करेंसी के अभाव में इलाज संभव नहीं हो पा रहा है. सरकार चाहे जो घोषणा कर रही हो. अब तो यही हो रहा है कि होइहि सोइ जो राम रचि राखा।

सुमन 

1 टिप्पणी:

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर 1-12-2016 को चर्चा - 2543 में दिया जाएगा ।
धन्यवाद

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