
11 आतंकियों की अदला-बदली रविवार को किसी गुप्त स्थान पर हुई। छोड़े गए 11 आतंकियों में शेख अब्दुर रहीम और मौलावी अब्दुर राशिद शामिल है। दोनों क्रमश: कुनूर और निमरोज प्रांत के लिए तालिबान के गर्वनर के रूप में काम कर चुके हैं.
दोनों तरफ से रिहाई की प्रक्रिया अफगानिस्तान के लिए विशेष अमेरिकी दूत जल्मे खलीलजाद और तालिबान के प्रतिनिधि मुल्ला अब्दुल गनी बरदार के बीच बैठक में हुई।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मौलाना मसूद अजहर को रिहा किया गया था. इसी शातिर आतंकी ने साल 2000 में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया था. जिसका नाम 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले के बाद सुर्खियों में आया था.
दूसरा आतंकी अहमद उमर सईद शेख. इस आतंकवादी को 1994 में भारत में पश्चिमी देशों के पर्यटकों का अपहरण करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. इसी आतंकी ने डैनियल पर्ल की हत्या की थी. अमेरिका में 9/11 के हमलों की योजना तैयार करने में भी उसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. बाद में डेनियल पर्ल के अपहरण और हत्या के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों ने उसे 2002 में गिरफ्तार कर लिया था.
तीसरा आतंकी मुश्ताक अहमद ज़रगर. ये आतंकी रिहाई के बाद से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में उग्रवादियों को प्रशिक्षण देने में एक सक्रिय हो गया था. भारत विरोधी आतंकियों को तैयार करने में उसकी खासी भूमिका थी.
अटल सरकार में अप्रहत प्लेन अमृतसर में रुका हुआ था लेकिन हमारे कमांडों वहां तक नहीं पहुँच पाते हैं. ऐसा बोला जाता है कि उनको विमान से एयरपोर्ट भेजना था लेकिन किसी भी विमान का इंतजाम नहीं हो पाया था. और जब वह सड़क के रास्ते गये तो वहां भरी जाम की वजह से देरी हो जाती है.
भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के तत्कालीन प्रमुख ए. एस. दौलत ने अपनी अंग्रेजी पुस्तक 'कश्मीर:द वाजपई ईयर्स' में भी कहा है कि भारत उस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ गया था। दौलत ने अपनी पुस्तक में इस महत्वपूर्ण तथ्य का उल्लेख नहीं किया कि उस अपहृत विमान में उनकी खुफिया एजेंसी रॉ का एक अधिकारी भी बैठा था जिसका नाम शशि भूषण सिंह तोमर था। यह अधिकारी काठमाण्डू स्थित भारतीय दूतावास में फर्स्ट सेक्रेटरी के तौर पर कार्य कर रहा था। तोमर की तत्कालीन कैबिनेट सचिव एन.के. सिंह से नजदीकी रिश्तेदारी थी।
अपहृत विमान में इतना ईंधन नहीं था कि उसे लाहौर या कंधार ले जाया जाता। इस कारण उसे अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरना पड़ा, जहां अपहृर्ताओं ने गुरुग्राम निवासी रूपन कत्याल नामक एक यात्री को इतना घायल कर दिया कि बाद में उसकी विमान में ही मृत्यु हो गई थी। 25 वर्षीय कत्याल शादी के बाद हनीमून मनाने काठमाण्डू गया हुआ था। विमान में उसकी पत्नी रचना सहगल उसके साथ थी।
अमृतसर हवाई अड्डे को दिल्ली स्थित क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप का निर्देश था कि किसी तरह विमान को वहीं रोक कर रखा जाए पर ईंधन न भरा जाए। इस बीच हवाई अड्डे के निदेशक विजय मुलेकर के पास एक फोन आया जिसमें एक आदमी ने यह निर्देश दिया कि हवाई जहाज में ईंधन भर दिया जाए और उसे आगे उड़ान भरने दी जाए। फोन करने वाले आदमी ने अपना नाम सी. लाल बताया और कहा कि वह गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव है। विजय मुलेकर ने उसकी बात नहीं मानी और कहा कि 'मैं केवल दिल्ली स्थित क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की ही बात मानूंगा।' जांच करने पर पता चला कि वह फोन एक यूरोपीय देश से आया था। यूरोप से आए इस फोन वाली घटना का जिक्र अंग्रेजी समाचार पत्रिका 'इंडिया टुडे' के 10 जनवरी, 2000 अंक में किया गया है। इस घटना की चर्चा अंग्रेजी पुस्तक 'आईसी 814 हाइजैक्ड! द इनसाइड स्टोरी' में भी पृष्ठ संख्या 203 पर की गई है। वहां सी. लाल की जगह जे. लाल लिखा हुआ है।
इन्डियन एयरलाइन्स फ्लाईट 814 (VT-EDW) का अपहरण शुक्रवार, 24 दिसम्बर 1999 को लगभग 05:30 बजे विमान के भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश के कुछ ही समय बाद कर लिया गया था। जिसको इब्राहिम अतहर, बहावलपुर, पाकिस्तान, शाहिद अख्तर सईद, कराची, पाकिस्तान, सन्नी अहमद काजी, कराची, पाकिस्तान, मिस्त्री जहूर इब्राहिम, कराची, पाकिस्तान, शकीर, सुक्कुर, पाकिस्तान ने किया था.
पाकिस्तान से हर समय मुकाबला करने वाले लोग अमेरिकी साम्राज्यवाद के भी समर्थक हैं लेकिन पाकिस्तान अमेरिकी साम्राज्यवाद का मुख्य चहेता देश है और पाकिस्तान के माध्यम से ही तालिबान का निर्माण हुआ था. दोनों घटनाओं में तालिबान शामिल था और अफगानी 11 आतंकियों को छुड़ाने में उसके मुख्य भूमिका रही है लेकिन देश के नीति नियंता अमेरिकी मोह में फंस कर सही निर्णय लेने में असमर्थ साबित होते हैं. यही देश का दुर्भाग्य है.
-रणधीर सिंह सुमन
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-10-2019) को "विजय का पर्व" (चर्चा अंक- 3483) पर भी होगी। --
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--विजयादशमी कीहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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