सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

क्या सरकार निर्दोष मुस्लिम नवजवानों का वाद वापसी करना चाहती है?

बाराबंकीं। कचहरी सिलसिलेवार बम धमाके केस की वापसी के मामले  में अखिलेश सरकार की नीयत साफ नही है, अगर इसका इरादा नेक होता तो केस को वापस लेने की सरकारी कार्यवायी से पहले इसने मायावती सरकार के समय में गवर्नर की ओर से गठित आर डी निमेश कमीशन की रिपोर्ट को पहले ही प्रकाशित कर देते ताकि जनता के सामने निर्दोष व्यक्तियों की कहानी आ जाती और इसके बाद जब मुकदमा वापसी की कार्यवायी सरकार करती तो सम्प्रदायिक पार्टियां और इनके जनसंगठनों को जनता को फुसलाने का मौका हाथ न लगता। बम धमाके से सम्बन्धित केस वापसी के सम्बन्ध में प़त्र लिखकर जिला मजिस्टेट को आख्या देने को कहा वह प्रचार माध्यमों में लीक हो गए और जिला मजिस्टेट की रिपोर्ट शासन तक आने से पहले विभिन्न न्यायालयों परिसर में अधिवक्ताओं के आन्दोलन का सिलसिला शुरू हो गया।जो आगे और बढता दिखायी दे रहा है।23 नवम्बर 2007 के दिन एक साथ लखनऊ, बनारस, और फैजाबाद की कचहरियों में ताबड़ तोड़ कई बम धमाके हो गए और इसमें 14 व्यक्ति हलाक और करीब 50 जख़्मी हुए।
              बाराबंकी रेलवे स्टेशन से तारिक कासमी (आजमगढ़) और खालिद मुजाहिद (जौनपुर) को बम विस्फोटको के साथ गिरफतार करके इन्होने आतंकवादी संगठन हरकत अलजेहाद(हूजी) का मुख्य कार्यकर्ता बताते हुए फैजाबाद,गोरखपुर (जो कि 23 नवम्बर 2007 से पहले आतंकवादी घटना का शिकार हुआ था) और लखनऊ कचहरी सिलसिलेवार बम धमाके के अभियुक्त करार दिया था। पुलिस व एस0टी0एफ0 के पास से 9अदद जिलेटिन राड पैक शुदा दर्जन डिटोनेटर, सवा किलो आर0डी0एक्स और कई अदद मोबाइल तथा सिम कार्ड बरामद करने का दावा पेश किया था। लेकिन हैरत अंगेज तौर पर बरामद सामग्री को न तो प्रेस को दिखाई गयी और न ही अदालत के सामने खोली। जिसकी वजह से तारिक कासमी और खालिद मुजाहिद की गिरफतारी पर सवालात खड़े होने शुरू हो गए। नेशनल लोकतान्त्रिक पार्टी के कौमी सदर अरशद खान गिरफतारी के 10 दिन पहले से ही तारिक कासमी की गायब हो जाने की घटना के खिलाफ अपने पार्टी प्लेटफार्म से विरोध कर रहे थे। जब वह 12 दिसम्बर को जौनपुर के थाने मडि़याहू से खालिद मुजाहिद के भी गायब होने की खबर आ गयी तो इनकी पार्टी ने गम्भीर रूख अख्तियार कर लिया।12 दिसम्बर को इनकी पार्टी के प्रादेशिक मुखिया चैधरी चरन पाल सिंह उस समय की मुख्यमंत्री मायावती व गर्वनर उ0प्र0 को ज्ञापन के जरिए आगाह किया कि अगर 22दिसम्बर तक तारिक कासमी व खालिद मुजाहिद की बरामदगी पुलिस नही करती है तो वह विधानसभा के सामने खुदखुशी कर लेंगे। इस वार्निंग से खौफज़दा मायावती सरकार के पुलिस अधिकारी ने बाराबंकी ने अचानक एक नाटकीय अन्दाज में तारिक कासमी और खालिद मुजाहिद की गिरफतारी दिखला दी। जबकि 12दिसम्बर 2007 को रानी की सरायं थाना की चेक पोस्ट के करीब लखनऊ बलिया रोड पर मौजा महमूदपुर से हकीम तारिक कासमी निवासी सम्मूपुर थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ के एक सफेद रंग की टाटा सूमो गाड़ी से उतरे कुछ लोगो के जरिये दिन के लगभग 12 बजे  के समय जबरदस्ती अपहरण कर लिया गया। इस घटना को 13 दिनांक को समाचार पत्रों में छापा भी गया था।इसके दो दिन बाद तारिक कासमी के 80 वर्ष के दादा अजहर अली की तहरीर पर थाना रानी की सराय में पुलिस ने गुमशुदगी की रिपोर्ट भी लिखी थी।तारिक के अपहरण किए जाने की घटना को कई लोगो ने देखा था। इनमें से कई लोगो ने निमेष कमीशन के सामने गवाही भी दी थी। इसी तरह 12 दिसम्बर 2008 के दिन शाम 6 बजे के लगभग कस्बा व थाना मडि़याहू जिला जौनपुर में खालिद मुजाहिद जो एक मदरसे में अध्यापक था, को टाटा सूमो पर सवार कुछ लोगो ने इस समय जबरदस्ती अपहरण कर जौनपुर शहर की तरफ ले गए जब शाम की नमाज अदा करने के बाद खालिद पवन टाकीज के सामने मन्नू चाट वाले की दुकान पर चाट खाने रूके थे। खालिद के अपहरण की तस्दीक निमेष कमीशन के सामने प्रमुख रूप से मुहम्मद शाहिद आलम, मुहम्मद शकील, जुल्फिकार, फखरे आलम, शकील अहमद, हाजी अकरम उल्ला, इम्तियाज अहमद(सभी दुकानदार है), शाहिद जमाल(चाचा जाद भाई खालिद मुजाहिद),अनीस उर्ररहमान एडवोकेट ने की है।खालिद के अपहरण की रिपोर्ट चाचाजाद भाई मुहम्मद शाहिद ने भीड़ के साथ थाने पहुुचकर पुलिस को इसके अपहरण किए जाने की तहरीर दे कर रिपोर्ट लिखानी चाही किन्तु इसकी रिपोर्ट पुलिस ने नही लिखी, इसके बाद खालिद के चाचा फलाही ने मानव अधिकार आयोग,मुख्यमंत्री उ0प्र0, राज्यपाल उ0प्र0 और डी0जी0पी0 आदि को शिकायती पत्र भेजे और खालिद की बरामदगी की प्रार्थना की, लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नही की। चुनाव के समय मुलायम सिंह ने मुसलमानों से वादा किया था कि इनकी सरकार अगर बहुमत में आती है तो आतंकवादी के फर्जी केस से मुस्लिम नवजवानो की जेल से रिहाई कर दी जाएगी। लेकिन बहुमत में आने के बाद जब अखिलेश सरकार ने जस्टिस निमेष कमीशन की प्राथमिकता नही दी जो मार्च मंे ही करनी थी और न ही निमेष कमीशन की रिपोर्ट जनता में प्रकाशित की? इसके बजाए सरकार की ओर से जिला फैजाबाद, गोरखपुर,लखनऊ व बाराबंकी जिला प्रशासन से वाद की जानकारी तलब की जिसके बाद हिन्दुत्ववादी संगठन आर0एस0एस0 व बी0जे0पी0 ने विरोध कार्यक्रम को तेज कर दिया, जो अखिलेश सरकार के बढ़ते हुए कदमो को रोकने का काम जरूर कर सकता है?
   क्रमशः
    -मुहम्मद तारिक खान
     अनुवादक -नीरज वर्मा एडवोकेट
        (इंकलाब से साभार)

1 टिप्पणी:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

अखिलेश सरकार के बढ़ते हुए कदमो को रोकना जरूरी है,,,,,,

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