हरियाणा के फरीदाबाद में चार दलितों के उपर पेट्रोल डालकर जलाने की घटना कोई आश्चर्य पूर्ण बात नही है यह तो होना ही है नागपुरी हिन्दुवत की विषाक्त विचारधारा ने अल्पसंख्को के खिलाफ जो वातावरण तैयार किया उसका प्रभाव समाज में असर दिखने लगा है .हिन्दुवत की विचारधारा के अनुसार दलित सेवा करने के लिए है और उन्हें सेवा के अलावा कोई कार्य नही कर सकते है . भारतीय समाज में जातिव्यवस्था के अनुसार वह मंदिर में प्रवेश करने के अधिकारी नही है लेकिन समाज सुधारको के प्रयासों से उन्हें मंदिर में प्रवेश करने का थोडा अधिकार मिला तो वह सबसे बड़े हिन्दू हो गएफिर क्या था संघियों ने उन्हें अपना निशाना बनाकर उग्र हिन्दुवत में बदल दिया और मस्लिम विरोध का झंडा भी पकड़ा कर देश में दंगो की अगवाई कराई.लेकिन जब हिन्दुवत मजबूत हुवा तो जातीय व्यवस्था की सिरमौर जातियों की बांछे खिल गई और उन्होंने पुरानी व्यवस्था लागू करना शुरू कर दिया ..जातीय उच्चता बात ने विभिन्न जगहों पर जाति के नाम पर दलितों को मरना पीटना आरम्भ कर दिया . अधिकांश दलित नेता भा ज पा की और से एम. पी.-एम.एल .ए. है वह कुछ बोलने की स्थिथि में नही होता है हरियाणा में बहुत जगहों पर दलितो पर अत्याचार जैसे दलित बस्तियों में आग लगाना -पिटाई करना व बलात्कार आम बात हो गई.भा ज पा शासित प्रदेशो में वोट तो लेने के दलित हिन्दू हो जाता बाद में उसे मनुस्मति के हिसाब से जीना होता है
सवर्ण मानसिकता कट्टर हिन्दुवत से ही पैदा होती है उन विचारो का वाहक संघ है वह देश को एक ऐसे देश में बदलना चाहती है जहाँ सवर्ण जातियों की सेवक अन्य जातिया हो .यह सब ऐसे कदम है जो विनाशकारी है हिटलर का युग वापस लेने वाले लोगो के यह मंसूबे पुरे नही होने वाले है लेकिन कष्ट तो देगे ही . भारतीय संविधान व कानून न मानने वालो को अब देशद्रोही नही कहा जाता है नई राष्ट्र भक्ति की परिभाषा के अनुसार देश्द्रोहिता करो -संविधान कानून न मानो उलटे राष्ट्र भक्ति के गीत गुनगुनाओ तभी आप संघी राष्ट्र वादी होगे.
-रणधीरसिंह सुमन
लो क सं घ र्ष !
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