"भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद मैं एक ऐसी कमेटी का गठन करुंगा, जो सभी राजनेताओं पर लगाए गए आरोपों की जांच करेगा और कोई भी भ्रष्टाचारी नेता हो, चाहे वह भाजपा का ही क्यों न हो, उसे निकाल बाहर करुंगा !"
यह शब्द नरेन्द्र दामोदर मोदी ने वेटिंग प्रधानमन्त्री ने कहे थे लेकिन सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान के भ्रष्टाचार के मामले आने के बाद उनके बचाव में पार्टी संगठन के साथ-साथ प्रधानमन्त्री मोदी भी खड़े हुए नजर आये. भ्रष्टाचार के सवाल के ऊपर बड़ी-बड़ी डींगे हांकने वाले आदर्श और नैतिकता की बात करने वाले हिंदुवत्व की गंगा बहाने दिल्ली में लगे हुए हैं. इनकी किसी भी बात का यकीन करना वास्तव में छलावा है.
डीडीसीए के भ्रष्टाचार मामले पर बीजेपी जेटली के साथ खड़ी नजर आ रही है वहीँ, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि जेटली उसी तरह बेदाग निकल आएंगे, जैसे हवाला कांड में आडवाणी आए थे।
इस पर सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा हवाला कांड
में आरोप लगने के बाद आडवाणी जी ने इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने सवाल
उठाया कि इस मामले की जेटली से तुलना कर क्या पीएम अपने वित्त मंत्री को
ऐसा करने का हिंट दे रहे हैं ? सीताराम येचुरी की यह बात भी सही नहीं है.
यूपीए की सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में मंत्रियों के इस्तीफे लेकर कानून को अपना काम करने देती थी लेकिन मोदी सरकार जो उच्च आदर्शों, नैतिकता व हिंदुवत्व की माला चौबीस घंटे जपा करती है वह किसी का इस्तीफा नहीं लेंगे. भ्रष्ट मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों के समर्थन में नागपुर मुख्यालय से लेकर पार्टी का पूरा संगठन उसके बचाव में लग जाता है और उस भ्रष्टाचारी के भ्रष्टाचार को सही साबित करने के लिए विभिन्न भाषाओँ के शब्दकोशों का इस्तेमाल शुरू हो जाता है जिससे उस व्यक्ति के भ्रष्टाचार के ऊपर पर्दा पड़ा रहे.
हर समय नागपुरी मुख्यालय भारत माँ-भारत माँ की गुहार लगाता फिरता रहता है लेकिन धृतराष्ट्र की तरह मोदी के मंत्रिमंडल के सदस्यों व मुख्यमंत्रियों के भ्रष्टाचार नहीं दिखाई देते हैं. यही महिमा है नागपुर मुख्यालय की एक तरफ तो भारत माँ हैं दूसरी तरफ वह कफ़न घसोटों के साथ रहेगा. भारत माँ भ्रष्टाचार से आहत नहीं होती हैं ऐसा मानना है शायद नागपुर मुख्यालय का.
सुमन
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