मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012

क्या सरकार निर्दोष मुस्लिम नवजवानों का वाद वापसी करना चाहती है?-2

बाराबंकी। एस0टी0एफ0 ने तारिक कासमी व खालिद मुजाहिद की बाराबंकी रेलवे स्टेशन से हुई गिरफ्तारी की जो कहानी बतायी उसमें छेद ही छेद है। बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर लोगों ने एक ही व्यक्ति को इनोवा कार में रिक्शे से उतार कर जबरन डालते हुए देखा था,जबकि तारिक कासमी और खालिद मुजाहिद दोनो ही की कद व काठी औसतन साढे़ पांच फिट के करीब है। 22दिसम्बर 2007 को कड़ाके की ठण्ड में सुबह रेलवे स्टेशन पर कम भीड़ थी। सुबह की नमाज़ से फुरसत पाने के बाद लोग अपने घर चले गए और बाकी रात भर खुलने वाली चाय की दुकान पर चाय की चुस्की ले रहे थे।रेलवे स्टेशन के मेनगेट के सामने तिकोने पार्क के किनारे दो चार रिक्शे वाले  नगर पालिका के तहत गिरायी लकड़ी के अलाव के चारो ओर बैठे हाथ सेक रहे थे तथा सायकिल स्टैण्ड के किनारे एक कोने पर फुल्लन शुक्ला नाम का एक व्यक्ति समाचार पत्र के स्टाल पर बैठा समाचार पत्र बेच रहा था। अचानक रेलवे स्टेशन चैराहे से शहर को जाने वाली रोड पर विश्वनाथ के होटल से चन्द कदम पहले बिजली के खम्भे के सामने रिक्शा पर बैठे एक आदमी को इनोवा कार से उतरे एक आदमी को चार पांच लोगो ने काला कपड़ा ओढ़ाकर गोद में उठाकर कार में डाल दिया। लोग कुछ समझ पाते कि कार मंे डालने वाले स्टेनगन सम्भाल कर बोले कि होशियार कोई भी कार के पास नही आए खतरनाक  आतंकवादी पकड़े गए है। इनके पास आर0डी0एक्स0 जैसी खतरनाक विस्फोटक सामग्री है। इनना सुनना था कि रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गयी, लोग अपने अपने घर की ओर चल पड़े चाय के होटल पर सन्नाटा छा गया।
    आतंकवादी के पकड़े जाने की खबर जंगल की आग की तरह पूरे शहर में फैल गयी। मीडिया के लोगो का जमघट कोतवाली में जमा होने लगा।जहां  एस0टी0एफ0 और ए0टी0एस0 के साथ लखनऊ की पुलिस कप्तान प्रवीन कुमार स्वयं कोतवाली में मौजूद थे। मीडिया के लोग आतंकवादियों की एक झलक पाने के लिए बेचैन थे लेकिन किसी को अपने मकसद में कामयाबी नही मिली और चन्द समय बाद एस0टी0एफ0 के लोग  कोतवाली में मुकदमा दर्ज करके गाडि़यों से ये कहते हुए लखनऊ की ओर रवाना हो गए कि डी0जी0पी0 केस के सिलसिले में प्रेस के रुबरु होना है। अभियुक्तो को वहां बुलाया गया है जब कि अभियुक्तो को लेकर पुलिस वाले सफेदाबाद गेस्ट हाउस जा पहंुचा, यहाँ अभियुक्तो को बाराबंकी एस0ओ0जी0 के हवाले कर दिया गया,जो इन्हे लेकर जेल पहंुची और वहाँ सी0जे0एम0 ने अभियुक्तों की ज्यूडीशियल रिमाण्ड मन्जूर की।मीडिया के लोग जब रेलवे स्टेशन पहुंचे तो इन्हे सही कहानी इस तरह पता चली कि सबसे पहले चाय की होटल पर उपस्थित अजय कुमार ने मीडिया के लोगो को बताया कि वह सुबह दुकानदारी का समय होने के कारण चारो तरफ ग्राहक खड़ेे थे अचानक शोर मचा तो देखा कि चैराहे के करीब एक रिक्शे पर सवार एक आदमी के करीब खड़े एक बड़ी कार से उतरे लोग इस पर काला रंग का कपड़ा ढककर उसे कार में डाल रहे है। इसके बाद कार तेजी से पुुलिस लाइन की ओर चली गयी। अखबार बेचने वाले फुल्लन शुक्ला ने भी यही बात बतायी। सबसे अहम बात सायकिल स्टैण्ड वाले ने बताया जिसने अपना नाम नही बताया।इसके अनुसार सुबह एक ट्रेन आयी बाहर स्टेशन से बाहर इस समय एक लम्बी काठी का एक आदमी उतरा जिसके दोनो हाथों में काले रंग के बैग थे एक प्लास्टिक की थैला था और दूसरा रेकसीन या चमड़े का था। वह आदमी थोड़़ी दूर जाने पर पी0सी0ओ0के पास ठहरा इधर उधर देखा देखने के बाद रिक्शे वालो के पास आ गया, उसने रिक्शे वालो से कुछ कहा जिससे रिक्शे वालो ने चलने के लिए नही माने। इसके बाद वह आदमी चैराहे की ओर गया तभी एक रिक्शे ले जाने के लिए राजी हो गया। जैसे ही वह चला कि पार्सल कार्यालय के करीब पहले से ही मौजूद एक कार तेज गति से रिक्शे के पास पहुंची और चार पांच आदमी उसमंे से उतरे रिक्शे पर सवार आदमी के सिर और चेहरे को ढककर उसे कार में डाल दिया। जब मीडिया को पुलिस से यह सूचना मिली थी कि आतंकवादी स्टेशन पर पकड़े गए है तो इस बात पर आश्चर्य हुआ कि पुलिस की कहानी कुछ बता रही है और स्टेशन पर देखने वाले लोग कुछ बता रहे है।मीडिया ने पुलिस की बतायी कहानी पर भरोसा किया वही छापा दिखाया जो पुलिस चाह रही थी। एक उर्दू समाचार पत्र को छोड़कर किसी ने भी एक आदमी को पकड़ने की बात नही लिखी।प्रायः देखने में आता है कि पुलिस किसी गुडवर्क का खुलासा करते समय कहती है कि पकड़ने का स्थान और समय वह अभी नही बता सकती। लिखा पढ़ी के बाद ही वह बता पाएंगे लेकिन आश्चर्य कि ऐसे मामलों में जब पुलिस एस0टी0एफ0या ए0टी0एस0 किसी मुस्लिम को आतंकवादी के रुप में पकड़ती है तो मीडिया पुलिस की बनायी गयी कहानी पर विश्वास कर लेती है। हालांकि यह एक संवेदनशील मामला है क्योंकि एक ओर अगर देश की सुरक्षा व उसकी सुख शांति का मामला है तो दूसरी ओर एक पूरी कौम की कौमपरस्ती और देश के लिए वफादारी का भी सम्बन्ध है।
  क्रमशः
    -मुहम्मद तारिक खान
     अनुवादक -नीरज वर्मा एडवोकेट
        (इंकलाब से साभार)

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